या रब! इस दर्द की कोई दवा कर,
इस ग़म से मुझे अब रिहा कर।
एक आख़िरी आसरा तू है,
मेरा आख़िरी सहारा तू है।
चाहे तो मैंने खुशियों के पल थे,
फिर मुझे क्यों रुसवाई मिली?
सबको अपना अपना जहाँ तूने दिया,
एक अकेले मुझे ही क्यों तन्हाई मिली?
क्या प्यार का एहसास भी गुनाह है,
क्यों जमाने के साथ तू भी मेरा दुश्मन बन बैठा है?
मेरी बेचैनी, मेरी बेताबी, मेरे हर्फ़, मेरे अश्क़,
क्यों तू मुझसे आँखें फेर के बैठा है?
मेरा वजूद उससे है, मेरी ज़िन्दगी उससे है,
मेरा सुकून उससे है, मेरी तबाही उससे है।
एक उसके खातिर मैं सबसे लड़ रहा हूँ,
अंदर ही अंदर, घुट घुट के आज मर रहा हूँ।
कर दे रहम मुझ पर भी तू अब,
दे दे मुझे मेरे एहसासों का अंजाम अब।
कर दे मेरा इश्क़ पूरा, मेरी चाहत पूरी,
या खत्म कर मेरी ज़िन्दगानी अब।
इबादत की तेरी, ताउम्र अकीदत की,
एक नज़र इस टूटे दिल पर डाल तो सही।
सिर्फ अपना प्यार ही मांगा है तुझसे,
वर्ना जीतेजी यह ख्वाहिश जो न पूरी,
तो ये तुझसे मेरी शिकायत ही सही।
#तरु
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