मैं, तुम या हम??
बेवजह ही जुदा हुए हम,
न जाना क्या-क्या सहेंगे हम?
हर वक़्त रहता है अब यही ख़्याल,
यूँ अधूरे कब तक रहेंगे हम?
हर पल-हर दम,
बस यही एक गम।
आखिर क्यूँ हुआ मेरी जिंदगी से
मेरा वो अजीज़ शख़्स गुम?
पलकें हैं भारी, आँख हुई नम
उठते क्यूँ नहीं अब तेरी ओर ये कदम!
रूठ-सी गयी है हर खुशियाँ मेरी
हर लम्हा कर रहा कोई नया सितम।
आवाज़ दे रहा तुम्हें,
साथ बिताया हुआ हर वो पल।
काश तुम एक बार सुन लो
इससे पहले कि खामोश हो जाये हम...
#तरु